बादल एकेडमी (BADAL Academy Bastar Chhattisgarh) जानें क्यों है बस्तर के लिए खास | जनजातीय विशेष

BADAL Academy  Bastar Chhhattisgarh
BADAL Academy  Bastar Chhhattisgarh


बादल एकेडमी (BADAL Academy):

जनजातीय संस्कृति के केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध बस्तर के लोक नृत्य, स्थानीय बोलियां, साहित्य एवं शिल्पकला के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए शुरू हुई इस बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लैंग्वेज (बादल) Bastar Academy of Dance, Art and Language (Badal) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस केन्द्र की स्थापना 5 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से की गई है। 

एकेडमी शुरू करने का उद्देश्य:

बादल एकेडमी के जरिए बस्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हस्तान्तरण करना, बाकी देश-दुनिया को इनका परिचय कराना, शासकीय कार्यों का सुचारु सम्पादन के लिए यहां के मैदानी कर्मचारी-अधिकारियों को स्थानीय बोली-भाषा का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएगा।  बस्तर की गौरवशाली संस्कृति की गूंज हिंदुस्तान ही नहीं देश दुनिया में सुनाई देती है, बादल एकेडमी के जरिये बस्तर की संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। 

कैसे हुई शुरुआत:

बादल एकडमी की स्थापना के लिए पर्यटन विभाग के जीर्णशीर्ण हो चुके आसना में निर्मित अनुपयोगी मोटल का चयन किया गया। इसका क्षेत्रफल लगभग दो एकड़ था, लेकिन राजस्व विभाग एवं अन्य जमीन को मिलाकर इस हेतु लगभग पांच एकड़ जमीन तैयार की गई। जमीन मिलने के पश्चात प्रारंभ हुआ बस्तर अकादमी फॉर डॉस आर्ट लिटरेचर एंड लेंग्वेज (बादल) का निर्माण।

एकेडमी में कौन कौन सा प्रभाग:

इस अकादमी में प्रमुख रूप से 
  • लोकगीत एवं लोक नृत्य प्रभाग: इसके के तहत बस्तर के सभी लोक गीत, लोक नृत्य गीत का संकलन, ध्वन्याकंन, फिल्मांकन एवं प्रदर्शन का नई पीढ़ी को प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिसमें गंवर सिंग नाचा, डण्डारी नाचा, धुरवा नाचा, परब नाचा, लेजागीत, मारीरसोना, जगार गीत, आदि प्रमुख है।
  • लोक साहित्य प्रभाग: जिसके तहत बस्तर के सभी समाज के धार्मिक रीति-रिवाज, सामाजिक ताना-बाना, त्यौहार, कविता, मुहावरा आदि का संकलन, लिपिबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। 
  • भाषा प्रभाग: इस प्रभाग के तहत बस्तर की प्रसिद्ध बोली हल्बी, गोंडी, धुरवी और भतरी बोली का स्पीकिंग कोर्स तैयार कर लोगों को इन बोली का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • बस्तर शिल्प कला प्रभाग: इसके तहत बस्तर की शिल्प कलाओं जैसे काष्ठकला, धातु कला, बांसकला, जूटकला, तुम्बा कला आदि का प्रदर्शन एवं निर्माण करने की कला सिखाई जाएगी।

वीर शहीदों के नाम पर किया गया भवनों का नामकरण


बादल एकेडमी में निर्मित तीन भवनों का नामकरण वीर शहीदों के नाम पर किया गया है। इनमें
  • प्रशासनिक भवन का नाम शहीद झाड़ा सिरहा के नाम पर, 
  • आवासीय परिसर का नाम हल्बा जनजाति के शहीद गेंदसिंह के नाम पर और 
  • लायब्रेरी व अध्ययन भवन को धुरवा समाज के शहीद वीर गुंडाधुर के नाम पर किया गया है। 

एमओयू

  • बादल एकेडमी और इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के मध्य एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। 
  • इसके तहत इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी में लोक नृत्य और लोक संगीत के लिए साझा तौर पर कार्य किया जाएगा।
  • विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी को मान्यता प्रदान करते हुए अपने पाठ्यक्रमों से संबंधित विधाओं का संचालन किया जाएगा।

बादल एकेडमी में अन्य सुविधाएँ:

बादल अकादमी में लाइब्रेरी, रिकॉर्डिंग रूम, ओपन थिएटर, डांस गैलरी, चेंजिंग रूम, गार्डन एवं रेसिडेंशियल हाउस, पाथवे, एग्जीबिशन हॉल, कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं हैं।

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