तुम्बा शिल्प | छत्तीसगढ़ का नया उभरता पहचान | दिखने में नायब और अजूबा | Tumba Shilp |

तुम्बा शिल्प | छत्तीसगढ़ का नया उभरता पहचान |
तुम्बा शिल्प | छत्तीसगढ़ का नया उभरता पहचान |

क्या होता है तुम्बा शिल्प (Tumba Shilp):

तुम्बा शिल्प (Tumba Shilp) एक ऐसी कारिगरी का नमूना है जो की तुम्बा नामक सब्जी जिसे छत्तीसगढ़ी में तुमा (हिंदी में लौकी ) के नाम से भी जानते हैं से बनाया जाता है। यह शिल्प छत्तीसगढ़ में बस्तर, नारायणपुर जिले के आदिवासियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस शिल्प को बनाने के लिए गर्म लोहे के चाकू का इस्तिमाल किया जाता है। इसके द्वारा तुम्बा पर विभिन्न पारम्परिक चित्रों को उकेरा जाता है। 

कैसे तैयार होता है यह तुम्बा शिल्प ((Tumba Shilp):

तुम्बा शिल्प (Tumba Shilp) को बनाने के लिए बड़ी साइज की लौकी को पेड़ पर लगभग एक साल तक पकने या सुखने के लिए छोड़ दिया जाता है, इस दौरान लौकी को छेड़ा नहीं जाता। इस पके लौकी को तोड़कर उसकी धुँधली ऊपरी परत को लोहे के चाकू की सहायता से छील दिया जाता है, और अंदर की कोमल सामग्री को मुड़े हुए चाकू की सहायता से बाहर निकाल दिया जाता है, क्योंकि यह बहुत पतली होती है जो हटाने की प्रक्रिया के दौरान नष्ट हो सकती है।

इसके बाद इसे धूप में सूखने के लिए रख दिया जाता है, सूखने के पश्चात विभिन्न प्रकार की पारम्परिक आकृतियों और अलग चित्रों को लौकी की सतह पर गर्म लोहे के चाकू की सहायता से तैयार किए जाते है। ये लोग कभी भी लौकी के प्राकृतिक आकार को नहीं बदलते हैं, लेकिन ये लोग लौकी पर गर्म लोहे के चाकू से पारंपरिक चित्रांकन कर उसे एक अदभुत आकृति में बदल देते है। लौकी की सतह पर डिज़ाइन का काम पूरा हो जाने के बाद लौकी को नरम साबुन और पानी से धो कर धूप मे सुखा दिया जाता है, सूखने के बाद वेक्स की पाँलिश की जाती है जिससे बनी शिल्प काफी चमक उठती है।

हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रयास:

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा तुंबा शिल्प (Tumba Shilp) को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित की जा रही है। हस्तशिल्पकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम उसरीबेड़ा में परम्परागत वस्तुओं से आकर्षक सजावटी वस्तु बनाने का प्रशिक्षण 24 अगस्त से दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण के दौरान अनुसूचित जनजाति वर्ग के 20 युवाओं को तीन माह तक गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान उन्हें 1500 रूपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। प्रशिक्षण के दौरान तैयार की गई सजावटी सामग्री के लिए प्रदर्शनी-सह-मार्केटिंग की भी सुविधा बोर्ड द्वारा मुहैया करायी जाएगी।

शिल्प का बाजारों में मांग:

छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प कलाकारों द्वारा बनाए जा रहे मनमोहक तुम्बा लैम्प (Tumba Lamp) की मांग बाजारों में बढ़ती जा रही है। तुंबा के विभिन्न आकार-प्रकार वाले यह आकर्षक लैम्प अब लोगों के घर और बेडरूम की शोभा बनने लगे हैं। इन मनमोहक और आकर्षक लैम्पों का निर्माण नारायणपुर एवं बस्तर जिले आदिवासी शिल्पियों द्वारा किया जा रहा है। इसकी बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए हस्तशिल्प बोर्ड द्वारा अब इसका वृहद पैमाने पर प्रशिक्षण देकर निर्माण शुरू किए जाने की पहल की गई है। सूखे हुए तुंबे पर शिल्प कलाकार विभिन्न आकार-प्रकार की सुंदर कृतियां उकेर कर उन्हें मनमोहक और आकर्षक रूप देते हैं। हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा इस हस्त शिल्पकला को पुर्नजीवित कर ग्रामीण युवाओं को रोजगार दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। 

गौरतलब है कि राज्य में पहली बार तुंबा शिल्प (Tumba Shilp) से वृहद पैमाने पर लैम्प निर्माण की शुरूआत की गई है। स्टडी टेबल लैम्प के रूप में तुंबा से बने लैम्प को काफी पसंद किया जा रहा है और इसकी हाथों-हाथ बिक्री हो रही है। छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले हस्तशिल्प मेलों में तुंबा शिल्प (Tumba Shilp) लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रशिक्षण एवं विपणन सुविधाओं के माध्यम से तुंबा शिल्प का अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार किया जा रहा है।

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