Chhattisgarh ka Raj Geet - छत्तीसगढ़ का राज गीत


Chhattisgarh Raj-Geet: छत्तीसगढ़ राज- गीत
Chhattisgarh Raj-Geet: छत्तीसगढ़ राज- गीत 

दोस्तों, आज हम जानेंगे छत्तीसगढ़ के राज-गीत के बारे में, हमें हमेशा confusion होता है की आखिर गीत के  कितने अंतरे को राज-गीत के रूप में गया जाता है? चलिए तो आज हम राज - गीत के बारे में पूरा जानेंगे साथ में ये भी की ये गीत कैसे famous हुआ और इसके ऑफिसियल ऑडियो फाइल को कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

राज - गीत:

सन 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर एक नए राज्य का दर्जा दिया गया। राज्य बनने के बाद राज्य के विभिन्न राजकीय प्रतिक चिन्हों को बनाया गया परन्तु राजकीय गीत का स्थान अभी भी खाली था। 3 नवम्बर 2019 को राज्य स्थापना के अवसर पर राज्योत्सव के मंच से छत्तीसगढ़ राज्य की राजकीय गीत के रूप में " अरपा पैरी के धार......." को घोषित किया और इसे छत्तीसगढ़ के राजपत्र में दिनांक 18 नवम्बर 2019 को प्रकाशित किया गया। 

राजपत्र के अनुसार अधिसूचना:

छत्तीसगढ़ राजपत्र के अधिसूचना के आधार पर इस गीत में 3 अंतरा में से केवल पहले 2 अंतरे  को ही राजगीत के रूप में स्थान प्राप्त है। राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन के पश्चात से ही राज्य के शासकीय कार्यक्रमों में इसके गायन को सुनिश्चित करने को कहा गया है। इस अधिसूचना के अनुसार राजकीय गीत  स्वरुप निम्न है : 

"अरपा पैइरी के धार महानदी हे अपार,
इन्द्राबती ह पखारय तोर पइयाँ। 
महूँ पाँव परव तोर भुइयाँ,
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया।।
सोहय बिन्दिया सही घाते डोंगरी, पहार,
चन्दा सुरुज बने तोर नयना,
सोनहा धाने के संग, लुगरा के हरियर रंग
तोर बोली जइसे सुघर मइना  
अँचरा तोरे डोलावय पुरवइया।।
(महूँ पाँव परव तोर भुइयाँ, जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया।।)
राइगढ़ हाबय तोरे मँउरे मुकुट
सरगुजा (अऊ) बेलासपुर हे बहियाँ,
रइपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फभय
दुरुग, बस्तर सोहय पयजनियाँ,
नाँदगाँवे नवा करधनियाँ
(महूँ पाँव परँव तोर भुइँया, जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया।।)

(नोट: उपरोक्त गीत में से सिर्फ ऊपर के 2 अंतरा को ही राज गीत बनाया गया है। )

यह गीत डॉ. नरेंद्र देव वर्मा (Dr. Narendra Dev Verma) द्वारा लिखा गया है, यह कविता तब की है जब छत्तीसगढ़ अस्तित्व में नहीं आया था फिर भी डॉ. नरेंद्र देव वर्मा जी ने इसे इतने सुन्दर तरीके से लिखे और प्रस्तुत किये हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ को अपने गीत के माध्यम से माता का दर्जा देते हुए छत्तीसगढ़ के स्थानों को उनके अंगों के रूप में निरूपित किये है जो आज के समय में भी सही बैठता है। इस गीत को डॉ. नरेंद्र देव जी द्वारा अंग्रेजी में भी बहुत ही अच्छे ढंग से अनुवाद किया गया है। 

यह गीत शुरू से इतना प्रसिद्द है की इसे डॉ. नरेंद्र देव जी के दी डायरी के से लोगों के मुख की ध्वनि बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा था। गीत "अरपा पैरी के धार......... " को दाऊ महासिंग चंद्राकर द्वारा डॉ. नरेंद्र देव वर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'सुबह की तलाश' के नाट्यरूपांतरण "सोनहा बिहान" में जोड़कर छत्तीसगढ़ के जन जन तक पहुंचाने का काम किया।

लोक शिक्षण संचनालय का आदेश:
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर द्वारा निर्णय लिया गया है की राज्य के समस्त विद्यालय में प्राथना के समय छत्तीसगढ़ राज गीत को शामिल किया जाये। 

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