CG PSC ACF SYLLABUS


CG PSC ACF
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प्रश्न पत्र-1 

भाग १ - सामान्य अध्ययन :

  1. छत्तीसगढ़ का इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ का योगदान। 
  2. छत्तीसगढ़ का भूगोल, जलवायु, भौतिक दशाएँ , जनगणना, पुरातात्विक एवं पर्यटन केंद्र। 
  3. छत्तीसगढ़ का साहित्य, संगीत नृत्य, कला एवं संस्कृति, जनउला, मुहावरे, हाना एवं लोकोक्ति। 
  4. छत्तीसगढ़ की तीज एवं त्यौहार, जनजातियाँ एवं विशेष परम्पराएँ। 
  5. छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था, वन, एवं कृषि। 
  6. छत्तीसगढ़ प्रशासनिक ढांचा, स्थानीय प्रशासन एवं पंचायती राज। 
  7. छत्तीसगढ़ में  ऊर्जा, जल एवं खनिज, उद्योग, संसाधन।
  8.  छत्तीसगढ़ की समसामियिकी घटनाएँ। 

भाग २ - भाषा (हिंदी, अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी )

(1) सामान्य हिंदी 
भाषा बोध, संक्षिप्त लेखन,पर्यायवाची एवं विलोम शब्द,समोच्चरित शब्दो के अर्थ भेद, वाक्यांश के लिए एक सार्थक शब्द, संधि एवं संधि विच्छेद, सामासिक पदरचना, समास-विग्रह, तत्सम एवं तत्भव शब्द, शब्द शुद्धि, वाक्य शुद्धि, उपसर्ग एवं प्रत्यय, मुहावरें एवं लोकोक्तियाँ (अर्थ एवं प्रयोग), पत्र लेखन। हिंदी साहित्य के इतिहास में काल विभाजन एवं नामकरण, छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ। 

(2) General English
Comprehension, Precis Writing, Re arrangement and Correction of Sentences, Synonyms, Antonyms, Fill in the Blanks, Correction of Spellings, Vocabulary and Usage, Idioms and Phrases,  Parts of Speech,Tense, Preposition, Translation English to Hindi, Active Voice and Passive Voice, Letter Writing. 

( 3) छत्तीसगढ़ी भाषा 
छत्तीसगढ़ी भाषा के ज्ञान, छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास अउ इतिहास, छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्य अउ प्रमुख साहित्यकार, छत्तीसगढ़ी के व्याकरण, हिंदी ले छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ी ले हिंदी प्रशासनिक शब्दकोष।  

भाग ३- बुद्धिमता परीक्षण, विश्लेषणात्मक एवं तार्किक योग्यता

  1. संचार कौशल सहित पारस्परिक कौशल। 
  2. तार्किक तर्क एवं विश्लेषणात्मक क्षमता। 
  3. निर्णय- निर्माण और समस्या निवारण। 
  4. सामान्य मानसिक योग्यता। 
  5. मूल संख्यात्मक कार्य (सामान्य गणितीय कौशल ) (स्तर - कक्षा दशवीं ), आंकड़ों की व्याख्या, (चार्ट रेखांकन, तालिकाएं ,आंकड़ों की पर्याप्तता इत्यादि ) (स्तर - कक्षा दशवीं )


प्रश्न पत्र-2 

भाग १ - विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, कृषि एवं वानिकी 

(1) रसायन विज्ञान 
रासायनिक अभिक्रिया की दर एवं रासायनिक साम्य - रासायनिक अभिक्रिया की दर का प्रारंभिक ज्ञान, तीव्र एवं मंद रासायनिक अभिक्रियाएँ, रासायनिक साम्य गतिक प्रकृति, अम्ल एवं क्षार, pH पैमाना (सरल आंकिक प्रश्न ) ऊष्माक्षेपी और ऊष्माशोषी अभिक्रियाएं। कुछ महत्वपूर्ण रसायनिक यौगिक - गुण एवं उपयोग, बनाने की विधि, उत्पादन (जल, कपड़े धोने का सोडा, खाने का सोडा,विरंजक चूर्ण एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस), भवन निर्माण सम्बन्धी कुछ पदार्थ का निर्माण - चूना, सीमेंट, काँच एवं इस्पात। धातुएँ- आवर्त सारिणी में धातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, धातु खनिज अयस्क ,खनिज एवं अयस्क में अंतर। धातुकर्म - अयस्कों का सांद्रण, निस्तापन, भर्जन, प्रगलन एवं शोधन, कॉपर एवं आयरन का धातुकर्म , धातुओं का संक्षारण, मिश्र धातुएँ।  अधातुएँ - आवर्त सरणी में अधातुओं की स्थिति एवं सामान्य गुण, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन की प्रयोगशाला विधिक गुण एवं उपयोग। कुछ महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक- एल्कोहल एसिटिक अम्ल बनाने की प्रयोगशाला विधि, गुण एवं उपयोग, कुछ सामान्य कृत्रिम बहुलक, पॉलीथिन, पॉली विनाइल क्लोराइड, टेफ्लॉन, साबुन एवं अपमार्जक। 

(2) भौतिक विज्ञान

ऊर्जा के स्त्रोत: ऊर्जा के नविन स्त्रोत, सौर ऊर्जा का स्त्रोत, सूर्य में ऊर्जा उत्पत्ति का कारण, सौर तापन युक्तियाँ, सोलर कुकर, सोलर सेल, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन, आदर्श ईंधन के गुणधर्म, नाभकीय ऊर्जा, नाभिकीय विखंडन, नाभिकीय संलयन, श्रृंखला अभिक्रिया, नाभिकीय रिएक्टर, नाभिकीय ऊर्जा के लाभ एवं हानि। 
प्रकाश:प्रकाश की प्रकृति, प्रकाश का परावर्तन, परावर्तन के नियम, समतल एवं वक्र सतह से परावर्तन, समतल, उत्तल एवं अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब रचना, फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध, एक पिन विधि द्वारा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करना U-V-I में सम्बन्ध।
प्रकाश का अपवर्तन: अपवर्तन का नियम, काँच के गुटके द्वारा अपवर्तन, क्रांतिक कोण, पूर्ण आतंरिक परावर्तन का दैनिक जीवन में उपयोग,लैंस (अभिसारी एवं अपसारी लैंस) परिभाषा, फोकस दूरी, प्रकाशिक केंद्र, लैंस द्वारा प्रतिबिम्ब रचना,मानव नेत्र इसके दोष एवं निराकरण तथा फोटोग्राफिक कैमरे और मानव नेत्र में तुलना, सरल सूक्ष्मदर्शी तथा खगोलीय दूरदर्शी, बनावट, उपयोग, कार्यविधि, किरण आरेख (सूत्र की स्थापना नहीं)
विद्युत और इसके प्रभाव: विद्युत् तीव्रता, विभव-विभवांतर, विद्युत धारा, ओम का नियम, प्रतिरोध, विशिष्ट प्रतिरोध, प्रभावित करने वाले कारक,प्रतिरोधों का संयोजन एवं इसके आंकिक प्रश्न, विद्युत् धारा का उष्मीय प्रभाव, इसकी उपयोगिता, शक्ति एवं  विद्युत् ऊर्जा व्यय की गणना (आंकिक ) विद्युत् प्रयोगों में रखी जानी वाली सावधानियाँ, विद्युत् धारा एवं रासायनिक प्रभाव, प्राथमिक, द्वितीयक सेल,इनके गुण दोष, लेक्लांशी सेल,शुष्क सेल, शीशा संचायक सेल बनावट। 
विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव: विद्युत् धारा के चुंबकीय प्रभाव, ओर्स्टेड का प्रयोग, विद्युत् चुंबकीय प्रेरण, विद्युत् मोटर, जनित्र की कार्यप्रणाली, सिद्धांत एवं उपयोग,प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा का सामान्य अध्ययन। गैसों में विद्युत् विसर्जन, विसर्जन नलिका, कैथोड किरणें, X- किरणें एवं इनके गुणधर्म। 
चुंबकत्व: चुम्बक एवं इसके प्रकार, कृत्रिम चुम्बक, चुम्बक बनाने की विधियाँ, चुम्बकत्व का आण्विक सिद्धांत, चुम्बकीय विनाश, चुम्बकीय रक्षक, चुम्बकीय बल रेखाएँ व उनके गुण तथा बल रेखाएँ खींचना। भू-चुम्बकत्व, चुम्बकीय तूफान, चुम्बकीय याम्योत्तर V.H.I. एवं 𝟇 में सम्बन्ध। 

(3) जीव विज्ञान 

जंतुपोषण: पोषण के प्रकार स्वपोषी, मृतोपजीवी, प्राणीसंभोजी तथा परजीवी। प्राणीसंभोजी, पोषण प्रक्रिया के प्रमुख पद। एककोशीय जीव (अमीबा) एवं बहुकोशीय जीव (टिड्डा) में पाचन। मनुष्य का पाचन तंत्र एवं पाचन प्रक्रिया। प्रकाश-संश्लेषण - परिभाषा प्रक्रिया के प्रमुख पद, प्रकाश अभिक्रिया एवं अंधकार अभिक्रिया, प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक एवं प्रकाश-संश्लेषण सम्बन्धी प्रयोग। 
श्वसन: परिभाषा, जीव के श्वसन अंग, श्वसन एवं श्वासोच्छवास, श्वसन के प्रकार, आक्सी एवं अनाक्सी श्वसन, मनुष्य का श्वसन तंत्र एवं श्वसन प्रक्रिया(सामान्य जानकारी), श्वसन गुणांक (R.O.) कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं प्रोटीन का। 
परिवहन: पौधों में जल एवं खनिज लवण का परिवहन, जंतुओं में परिवहन (मानव के सन्दर्भ में) रुधिर की संरचना तथा कार्य हृदय की संरचना एवं कार्यविधि, रुधिर वाहनियों की संरचना तथा कार्य (प्रारंभिक ज्ञान), रुधिर का थक्का बनना, रुधिर समूह का आधान, रुधिर बैंक लसिका तंत्र के कार्य। हृदय से सम्बंधित रोग। 
उत्सर्जन: पौधों में उत्सर्जन एवं उत्सर्जी पदार्थ, जंतुओं में उत्सर्जन और उत्सर्जी अंग, मानव में उत्सर्जन तंत्र एवं उत्सर्जन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) कृत्रिम वृक्क (डायलिसिस) परासरण नियंत्रण, वृक्क से सम्बंधित रोग। 
नियंत्रण एवं समन्वय: पौधों एवं जंतुओं में समन्वय पादप हार्मोन,मनुष्य का तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क संरचना एवं कार्य, मेरुरज्जु की संरचना एवं कार्य, प्रतिवर्ती क्रिया, अन्तः स्रावी ग्रंथियां  हार्मोन तथा कार्य। प्रजनन तथा वृद्धि-प्रजनन के प्रकार, अलैंगिक प्रजनन, विखंडन, मुकलन एवं पुनरुदभवन, कृत्रिम वर्धि प्रजनन, स्तरीकरण, कलम लगाना,ग्राफ्टिंग, अनिषेक प्रजनन, पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग (पुष्प) की संरचना एवं प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी) परागण, निषेचन। मानव प्रजनन तंत्र एवं प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी), अनुवांशिकी एवं विकास-अनुवांशिकी एवं भिन्नताएं, अनुवांशिकता का मूल आधार गुण सूत्र एवं DNA (प्रारंभिक जानकारी) जीन लिंग निर्धारण कार्बनिक विकास का प्रारंभिक ज्ञान (केबल ओपेरिन का सिद्धांत)

(4) प्रौद्योगिकी 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की राष्ट्रीय निति एवं नीतियों में समय- समय पर होने वाले परिवर्तन, प्रौद्योगिकी के उद्देश्य। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एवं प्रौद्योगिकी, कृषि एवं अन्य ग्राम्य विकास के कार्यकलापों के विशेष सन्दर्भ में इसके अनुप्रयोग, इनसेट एवं आई. आर. एस. तंत्र। ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका, कंप्यूटर का आधारभूत ज्ञान, संचार एवं प्रसारण में कंप्यूटर, आर्थिक वृद्धि हेतु सॉफ्टवेयर का विकास, आई. टी. के वृहद अनुप्रयोग। 
ऊर्जा संसाधन -  ऊर्जा की मांग, ऊर्जा की नवीनीकृत एवं अनवीनीकृत स्रोत, नाभिकीय ऊर्जा का देश में विकास एवं उपयोगिता। भारत में वर्तमान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास, कृषि का उद्भव, कृषि विज्ञान में प्रगति एवं उसके प्रभाव, भारत में फसल विज्ञान, नियंत्रण एवं भारत में रोगों का परिदृश्य।

(5) पर्यावरण 
जैव विविधता एवं उसका संरक्षण: सामान्य परिचय- परिभाषा, अनुवांशिक प्रजाति एवं पारिस्थितिक तंत्रीय विविधता। भारत का जैव भगौलिक वर्गीकरण। जैव विविधता का महत्त्व-विनाशकारी उपयोग, उत्पादक उपयोग, सामाजिक, नैतिक वैकल्पिक दृस्टि से महत्व। विश्व स्तरीय जैव विविधता,राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर की जैव विविधता। भारत एक वृहद विविधता वाले राष्ट्र में। जैव विविधता के तप्त स्थल। जैव विविधता को क्षति -आवासीय क्षति, वन्य जीवन को क्षति, मानव एवं वन्य जंतु संघर्ष। भारत की संकटापन्न (विलुप्त होती ) एवं स्थानीय प्रजातियां।  जैव विविधता का संरक्षण- असंस्थितीय एवं संस्थितिक संरक्षण। 
पर्यावरण प्रदुषण: कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय-वायु प्रदुषण, जल प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, नाभिकीय प्रदूषण। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन-नगरीय एवं औद्योगिक ठोस, कूड़े-करकट का प्रबंधन कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण। प्रदुषण के नियंत्रण में व्यक्ति की भूमिका। आपदा प्रबंधन- बाढ़, भूकंप, चक्रवात एवं भू-स्खलन/ मानव जनसंख्या एवं पर्यावरण। जनसंख्या वृद्धि, विभिन्न राष्ट्रों में जनसँख्या में विभिन्नताएं। जनसँख्या विस्फोट-परिवार कल्याण कार्यक्रम। पर्यावरण एवं मानव स्वास्थय। 
(6) कृषि विज्ञान
  • पारिस्थितिक विज्ञान एवं मानव के लिए उसकी प्रासंगिकता, प्राकृतिक संसाधन, उन्हें कायम रखने का प्रबंध तथा संरक्षण, फसलों के उत्पादन एवं वितरण के कारक के रूप में भौतिक एवं सामाजिक पर्यावरण, फसलों की वृद्धि में जलवायु मूल तत्वों का प्रभाव, पर्यावरण के संकेतक के रूप में सस्य क्रय पर परिवर्तनशील पर्यावरण का प्रभाव, फसलों, प्राणियों व मानव के पर्यावरण प्रदूषण से सम्बद्ध संकट। 
  • देश के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में सस्य क्रम में विस्थापन पर अधिक पैदावार वाली तथा अल्पावधि किस्मों का प्रभाव, बहु सस्यन, बहुस्तरीय अनुपद तथा अंतरासस्यन की संकल्पना तथा खाद्य उत्पादन में इनका महत्व, देश के विभिन्न क्षेत्रों में खरीब तथा रबी मौसमों में  उत्पादित मुख्य अनाज, दलहन, तिलहन, रेशा, शर्करा, वाणिज्यिक एवं चारा फसलों के उत्पादन हेतु पैकेज रीतियां। 
  • विविध प्रकार के वन रोपण जैसे की वन विस्तार, सामाजिक वानिकी, कृषि वानिकी एवं प्राकृतिक वनों की मुख्य विशेषताएं, क्षेत्र तथा विस्तार। खरपतवार, उनकी विशेषताएं, प्रकीर्णन तथा विभिन्न फसलों के साथ उनकी संबध्दता, उनका गुणन, खरपतवारों का कर्षण, जैविक तथा रासायनिक नियंत्रण। 
  • मृदा भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणधर्म, मृदा रचना के प्रकरण था कारक,भारतीय मृदाओं का आधुनिक वर्गीकरण, मृदा के खनिज तथा कार्बनिक संघटक तथा मृदा उत्पादकता बनाये रखने में उनकी भूमिका, पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व  मृदा और पौधों के अन्य लाभकारी तत्व, मृदा उर्वकता, मृदा उर्वकता का सिद्धांत तथा विवेकपूर्ण उर्वरक प्रयोग और समाकलित पोषण प्रबंधन का मूल्यांकन, मृदा में नाइट्रोजन की हानि, जलमग्न धान- मृदा में नाइट्रोजन उपयोग क्षमता, मृदा में नाइट्रोजन यौगिकीकरण, मृदा में फॉस्फोरस एवं पोटेशियम का यागिकीकरण तथा उनका दक्ष उपयोग, समस्या जनक एवं उनके उपचार के तरीके। जल विभाजन के आधार पर मृदा संरक्षण योजना, पर्वतीय गिरपादों तथा घाटियों में अपर्दन तथा अपवाह प्रबंधन, इसको प्रभावित करने वाले प्रक्रम तथा कारक, बागानी कृषि और उससे सम्बंधित समस्याएं, वर्षा पोषित कृषि क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में स्थिरता लाने की प्रौद्योगिकी। 
  • फॉर्म प्रबंध, विषम क्षेत्र, महत्व तथा विषेशताएँ, फॉर्म आयोजना, संसाधनों का इष्टतम उपयोग तथा बज़ट बनाना, विभिन्न  प्रकार की कृषि प्रणालियों की अर्थव्यवस्था। 
  • कृषि निवेशों और उत्पादों का विपणन और मूल्य निर्धारण, मूल उतर चढाव और उनकी लागत, कृषि अर्थव्यवस्था में सहकारी संस्थाओं की भूमिका, कृषि के प्रकार तथा प्रणालियों और उसको प्रभावित करने वाले कारक। 
  • कृषि विस्तार, इनका महत्व एवं भूमिका ,कृषि विस्तार कार्यक्रमों के मुल्यांकन की विधियां, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण तथा छोटे बड़े और सीमान्त कृषकों व भूमिहीन कृषि श्रमिकों की स्थिति, विस्तार कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रयोगशाला से खेतों तक का कार्यक्रम।
  • कोशिका सिद्धांत, कोशिका संरचना, कोशिका अंगक तथा उनके कार्य, कोशिका विभाजन, न्यूक्लिक अम्ल संरचना तथा कार्य, जीन संरचना तथा उनका कार्य, अनुवांशिकता के तथा पादप प्रजनन में उनकी सार्थकता, गुणसूत्र (क्रोमोसोम)संरचना, गुणसूत्र विपथन,सहलग्नता एवं जीन विनिमय एवं पुर्नयोजन प्रजनन में उनकी सार्थकता, बहुगुणिता, सुगुणित तथा असुगुणित, सूक्ष्म एवं गुरु उत्परिवर्तन एवं फसल प्रसार में उनकी भूमिका, विविधता, विविधता के घटक, वंशगतित्व, बंध्यता एवं असंयोज्यता, वर्गीकरण तथा फसल सुधारने उनका अनुप्रयोग, कोशिका द्रव्यी वंशागति, लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित तथा लिंग सीमित लक्षण। 
  • पादप प्रजनन का इतिहास,जनन की विधियां, स्वनिषेचन तथा संकरण तकनीकें, फसली पौधों का उद्भव एवं विकास, उद्भव का केंद्र, समजात श्रेणी का नियम, सस्य अनुवांशिक संसाधन- संरक्षण का उपयोग, प्रमुख फसलों के सुधार में पादप प्रजनन के सिद्धांतों का अनुप्रयोग,शुध्द वंशक्रम वरन, वंशावली, समूह तथा पुनरावर्ती वरण, संयोजी क्षमता, पादप प्रजनन में इसका महत्व, संकर ओज एवं उसका उपयोग, प्रजनन की प्रतिपसंकरण विधि, रोग एवं पीड़क प्रतिरोध के लिए प्रजनन, अंतर्जातीय एवं अंतरावंशीय संकरण की भूमिका, पादप प्रजनन में जैव बीज प्रौद्योगिकी की भूमिका, विभिन्न फसली पौधों की उन्नत किस्में, संकर, मिश्र। 
  • बीज प्रौद्योगिकी अवं उनका महत्व,विभिन्न प्रकार के बीज तथा उत्पादन एवं संसाधन की तकनीकें। भारत में बीज उत्पादन संसाधन तथा विपणन में सरकारी तथ निजी क्षेत्रों की भूमिका। 
  • शरीर क्रिया विज्ञान और कृषि विज्ञान में इसका महत्व, अन्तः शोषण, पृष्ठ तनाव, विसरण एवं परासरण, जल का अवशोषण और स्थानांतरण, वाष्पोत्सर्जन एवं जल की मितव्ययिता एवं उपापचय के सन्दर्भ में पादप कार्यिकी के सिद्धांत, मृदा- जल पादप सम्बन्ध। 
  • प्रकिण्व एवं पादप- वर्णक, प्रकाश संश्लेषण- आधुनिक संकल्पनाएँ और इसके प्रक्रम को प्रभावित करने वाले कारक, ऑक्सी और अनाक्सी स्वसन C3, C4 & CAM क्रियाविधियां, कार्बोहैड्रेट, प्रोटीन, वसा  एवं प्रोटीन उपापचय, वृद्धि एवं परिवर्धन, दीप्ती कलिता एवं वसंतीकरण, ऑक्सिन, हार्मोन एवं अन्य पादप नियामक,इनकी क्रिया की क्रियाविधि तथा कृषि में महत्व,बीज परिवर्धन एवं अंकुरण की कार्यिकी,प्रसुप्ति जलवायुवीय आवश्यकताएं तथा प्रमुख फसलें, सब्जियों एवं पुष्पीय पौधों का कर्षण, पैकेज की रीतियां एवं उनका वैज्ञानिक आधार,फलों एवं सब्जिओं के संभलाव तथा विपणन की समस्या, महत्वपूर्ण फलों तथा सब्जियों के उत्पादों के परिक्षण की मुख्य विषेशताएँ, संसाधन तकनीकें तथा उपस्कर, मानव पोषण में फलों व सब्जियों की भूमिका, शोभाकारी पौधों को उगाना, लॉन और बाग बगीचों का अभिकल्पन तथा अभिविन्यास। 
  • भारत में सब्जियों, फल उद्यानों और रोपण फसलों की बिमारियों और पीड़क (नसक जीन) पादक पीड़कों तथा बिमारियों के कारण तथा वर्गीकरण,पादक पीड़कों तथा बिमारियों के नियंत्रण के सिद्धांत, पीड़कों एवं रोगों का जैविक नियंत्रण, पीड़कों एवं जैवकों का समाकलित प्रबंधन, जानपदिक रोग निदान एवं पूर्वानुमान, पीड़कनाशियों, संरूपण एवं क्रियाविधि, राइजोबियम निवेश द्रव्य के साथ उनकी संगतता, सूक्ष्मजीवी अविष। 
  • अनाज व दालों के भंडार पीड़क तथा रोग और उनका नियंत्रण। 
  • भारत में खाद्य उत्पादन तथा उपयोग की प्रवृत्तियां, राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय खाद्य नीतियां, उत्पादन प्रापण, वितरण तथा संसाधन के अवरोध राष्ट्रीय आहार प्रतिमान से खाद्य उत्पादन का सम्बन्ध, कैलोरियों और प्रोटीन की विशेष कमियां।
(7) वानिकी 
सामान्य वन संवर्धन, वन संवर्धन प्रणाली, सदाबहार वन संवर्धन और ठन्डे रेगिस्तान, पेड़ों का वन संवर्धन, कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी, संयुक्त वन प्रबंधन एवं ट्राइबोलॉजी, वन, मृदा, मृदा संरक्षण एवं जलग्रहण प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता (प्रदूषण सहित), वृक्ष सुधार एवं आंशिक प्रौद्योगिकी, वन प्रबंधन एवं प्रबंधन प्रणाली, वन कार्ययोजना, वन क्षेत्रमिति एवं सुदूर संवेदन, वन सर्वेक्षण और अभियांत्रिकी, वन पारिस्थितिकी, जातीय वनस्पति, वन संसाधनों का उपयोग, वन संरक्षण एवं वन्य जीवन विज्ञान, वन अर्थशास्त्र एवं विधान।