राष्ट्रीय तितली के चयन में सात प्रजातियों की तितलियां शामिल, तीन प्रकार की प्रजातियां छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण में है मौजूद
राष्ट्रीय तितली:
जिस प्रकार से देश में राष्ट्रीय पशु के लिए बाघ, राष्ट्रीय पक्षी के मोर मयूर और राष्ट्रीय फल के लिए आम एवं पुष्प के लिए कमल को जाना जाता है, उसी प्रकार अब जल्द ही इस श्रृंख्ला में राष्ट्रीय तितली का नाम जुड़ने वाले है। राष्ट्रीय तितली के चुनाव के लिए ऑनलाईन वोटिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यह पहला अवसर होगा जब किसी राष्ट्रीय प्रतीक के चुनाव के लिए आम लोगों की अभिव्यक्ति को शामिल किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ की अहमियत:
राष्ट्रीय तितलियों चयन में पूरे देश में छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के नाम एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इसकी वजह यह है राष्ट्रीय तितली के चयन के लिए जिन सात प्रजातियां, कृष्णा पीकॉक, कॉमन जेजबेल, ऑरेंज ओक लीफ, फाइव बार स्वार्ड टेल, कॉमन नवाब, येलो गोर्गन और नॉर्दन जंगल क्वीन को राष्ट्रीय तितली की रेस में चुनने की मुहिम जारी है, उनमें से तीन प्रकार की तितलियां, कॉमन जेजबेल, ऑरेंज ऑक लीफ और कॉमन नवाब छत्तीसगढ़ की कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभ्यारण में पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं।
वोट कैसे करें:
राष्ट्रीय तितली के चयन में आप भी इस मुहिम में शामिल हो सकते है। अपने मोबाईल से tiny.cc/nationalbutterflypoll (👈वोट करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें) लिंक के माध्यम से राष्ट्रीय तितली के चयन में अपना अभिमत दे सकते है। राष्ट्रीय तितली के चयन में ऑनलाईन वोटिंग 8 अक्टूबर 2020 तक किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में कहाँ पायी जाती है ये तितलियाँ:
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में भोरमदेव अभ्यारण्य स्थित है, जहाँ वन्य जीवों और विविध वनस्पतियों के अतिरिक्त रंग बिरंगी तितलियों की अनगिनत प्रजातियां हैं पाई जाती है, जो एक अद्भुत जैव विविधता का प्रतीक हैं। वनमंडलाधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने बताया कि अभ्यारण्य में 90 से अधिक प्रजाति की तितलियों का प्राकृतिक आवास है। यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं है। इस अभ्यारण्य में पाई जाने वाली तितलियों में ब्लू मॉरमॉन, स्टाफ सार्जंट, कमांडर, गोल्डन एंगल, ऑरेंज ओक लीफ़, कॉमन माइम, ओरिएंटल चेस्टनट एंजल, एंगेल्ड पैरोट, कॉमन गल, कॉमन मॉर्मोन, चॉकलेट पेंसी, कैस्टर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन वंडर्र, कॉमन जे, डेंगी बुश ब्राउन, ग्रेप पेनसी प्रमुख हैं।
बरसात में तितलियों का समुह यहाँ बरसाती नालों के किनारे मड पडलिंग (तितलिया अपने शरीर की लवणों की जरूरतें मिटटी से पूरी करती है और उनकी इस क्रिया को मड पडलिंग कहा जाता है) करते हुए दिख जाती हैं। हाल ही में इस स्थान पर मध्य भारत में पाई गई एक नई प्रजाति स्पॉटेड एंगल देखने को मिली है।
पर्यटन की दृष्टि से कबीरधाम जिला प्रदेश में क्यों है खास जानिएं:
छत्तीसगढ़ राज्य का जिला कबीरधाम अपने प्राकृतिक सौंदर्य, प्रागैतिहासिक, पुरावशेषों तथा अपनी सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के लिए सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। जिला मुख्यालय कवर्धा से लगभग 18 किलोमीटर दूर विशाल मैकल पर्वत श्रृंखला की गोद में भोरमदेव का भव्य मंदिर स्थित है। प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव द्वारा कराया गया था।
माना जाता है कि गोंड़ राजाओं के देवता भोरमदेव थे और वे भगवान शिव के अनन्य भक्त व उपासक थे। भोरमदेव, शिवजी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा। इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है, जिसके कारण लोग इस मंदिर को ’छत्तीसगढ का खजुराहो’ भी कहते हैं।
यह एक ऐतिहासिक मंदिर है। राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष विशेष रूप से भोरमदेव महोत्सव का आयोजन मार्च-अप्रैल महीने में आयोजित किया जाता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में लोग यहाँ आते हैं। भोरमदेव मंदिर के अतिरिक्त यहाँ छेरकी महल, मड़वा महल, सरोधा बाँध, पुरातत्व महत्व के स्थल पचराई और बकेला जैसे महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।
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