New Education Policy 2020 | नई शिक्षा नीति 2020 | क्या है खास इसमें | जानें प्रमुख बातों को |

दोस्तों, आज 34 साल के बाद New Education Policy 2020 नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गयी है। दोस्तों जरा गौर करें कि हमारी शिक्षा नीति को 34 वर्षों से नहीं बदला गया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल की कैबिनेट ने शिक्षा नीति को मंजूरी मिल जाने के बाद उसकी खास-खास बातें बताई।

New Education Policy 2020 | नई शिक्षा नीति 2020 | क्या है खास इसमें | जानें प्रमुख बातों को |
New Education Policy 2020 | नई शिक्षा नीति 2020 | क्या है खास इसमें | जानें प्रमुख बातों को |


नयी शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं, एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति । इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई इस पूरे प्रक्रिया के दौरान 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई। यह नीति वर्तमान में देश के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 1 करोड़ से अधिक शिक्षकों और 33 करोड़ विद्यालयीन छात्र-छात्रों को लाभ पहुंचाने वाला होगा।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने बताया कि नई शिक्षा नीति शिक्षा क्षेत्र में कई मुद्दों का समाधान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति से युवाओं के लिए उच्च शिक्षा लेना आसान हो जाएगा। इसके तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 1986 में अपनाया गया था और अंतिम बार इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति में ड्राफ्ट की ये हैं प्रमुख बातें:

नयी राष्ट्रीय संस्थायें:

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय  किया जाएगा। 
  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है। 
  • U.S. की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर हम NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) ला रहे हैं। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।  
  • पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, 'राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। 

उच्च शिक्षा हेतु नियामक इकाई एवं प्रावधान:

  • देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक (Regulatory) होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक 'ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम' पर काम करेगा।
  • मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी। 
  • इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
  • अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।
  • 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। 

शिक्षकों के लिए दिशा निर्देश:

  • आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।
  • शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके जरिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर - आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख - रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।
  • शिक्षकों के सपोर्ट के लिए तकनीकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है।

प्राथमिक शिक्षा हेतु प्रावधान:

  • प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता को प्राथमिकता के साथ शामिल करने और ऐसे भाषा शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों। यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में दिखाई देती है। पहली से पाँचवी तक जहाँ तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाये। जहाँ घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।
  • पहली व दूसरी कक्षा में भाषा व गणित पर काम करने पर जोर देने की बात नई शिक्षा नीति के मसौदे में है।
  •  इसके साथ ही चौथी व पाँचवीं के बच्चों के साथ लेखन कौशल पर काम करने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है। भाषा सप्ताह, गणित सप्ताह व भाषा मेला व गणित मेला जैसे आयोजन करने की बात भी इस प्रारूप में लिखी गई है। 

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अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए उनको भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण देने का सुझाव दिया गया है। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में किया गया है।
  • रेमेडियल शिक्षण को मुख्य धारा में शामिल करने जैसा सुझाव दिया गया है। इसके तहत 10 सालों की परियोजना का प्रस्ताव किया गया है। इसमें स्थानीय महिलाओं व स्वयं सेवकों की भागीदारी हासिल करने की बात कही गई है।
  • नया कौशल (जैसे कोडिंग) शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा।
  • गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। 
  • कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ा जाएगा।

विद्यार्थियों के रिपोर्ट कार्ड में सुधार:

  • बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। 
  • वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयीन शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम लाइफ स्किल होगी। जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहेगा कर सकेगा।

फिजिक्स के साथ फैशन डिजाइनिंग, केमिस्ट्री के साथ पढ़ सकेंगे म्यूजिक:

मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है, इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी, लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी। मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं इसके दो फायदे होंगे:
  1. आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं वो वापस सिस्टम में आ सकते हैं। 
  2. जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है, नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी।

स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट खत्म:

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है। इसे 10+2  से 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला गया है, इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे, फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) होंगे।

(सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है। इसमें बढ़ोतरी करके शिक्षा का क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। )

CG News Hindi
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