छत्तीसगढ़ का राजकीय गमछा, सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा परन्तु यह छत्तीसगढ़ के लोगों के दैनिक जीवन में एक अहम् स्थान रखता है। इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के सिल्क उद्योग को एक अलग पहचान दिलाने के लिए शुरू की गयी एक अच्छी पहल है।
यह राजकीय गमछा विभिन्न राजकीय और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले शासकीय आयोजनों में यह गमछा हमारे अतिथियों को भेंट किया जायेगा। इससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ से बने कपड़ों की ख्याति बढ़ेगी बल्कि राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर और संस्कृति को प्रदर्शित करेगा।
छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना, राजकीय पशु वन भैंसा, मांदर, बस्तर के प्रसिद्ध गौर मुकुट और लोक नृत्य करते लोक कलाकारों के चित्र अंकित किए गए हैं गोदना चित्रकारी से
गमछे की डिजाईन में धान के कटोरे छत्तीसगढ़ को प्रदर्शित करने धान की बाली-हल जोतते किसान के साथ सरगुजा की पारंपरिक भित्ति चित्र कला की छाप भी
राजकीय गमछे के किस्में :
छत्तीसगढ़ी राजकीय गमछे को दो प्रकार के किस्मों में निर्मित गया है, पहला टसर सिल्क से निर्मित और दूसरा कॉटन कपड़े से निर्मित राजकीय गमछा। टसर सिल्क से बनने वाले गमछे को जहां चांपा के बुनकरों द्वारा बनाया जायेगा वहीं कॉटन से बनने वाले गमछों को बालोद और राजनाँदगाँव के बुनकरों द्वारा बनाया जायेगा।
हमारे राजकीय गमछे में क्या है खास:
- छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ द्वारा राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाले ये गमछे टसर सिल्क एवं कॉटन बुनकरों तथा गोदना हस्त शिल्पियों द्वारा तैयार कराए गए हैं।
- गमछे पर छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना, राजकीय पशु वन भैंसा, मांदर, बस्तर के प्रसिद्ध गौर मुकुट और लोक नृत्य करते लोक कलाकारों के चित्र गोदना चित्रकारी से अंकित किए गए हैं।
- गमछे की डिजाईन में धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को प्रदर्शित करने के लिए धान की बाली तथा हल जोतते किसान को प्रदर्शित किया गया है।
- सरगुजा की पारंपरिक भित्ति चित्र कला की छाप गमछे के बार्डर में अंकित की गई है।
- शासकीय आयोजनों में यह गमछा अतिथियों को भेंट किया जाएगा।
- गमछा तैयार करने के पारिश्रमिक के अलावा गमछे से होने वाली आय का 95 प्रतिशत हिस्सा बुनकरों तथा गोदना शिल्पकारों को दिया जाएगा।
टसर सिल्क क्या होता है?
टसर सिल्क दक्षिण एशिया में पाए जाने वाला एक प्रकार का रेशम है। यह रेशम विभिन्न प्रकार के वृक्षों में जीवन यापन करने वाले रेशम के कीटों के लार्वा से बने कोकून द्वारा प्राप्त किया जाता है। टसर सिल्क का उत्पादन छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ में कोसा के नाम से जाना जाता है। झारखण्ड राज्य इस टसर सिल्क के उत्पादन में भारत भर में अग्रणीय राज्य है और इसमें छत्तीसगढ़ का नाम दूसरे नंबर पर आता है। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा कोसा रेशम का निर्माण जांजगीर चांपा जिले में चांपा में किया जाता है।
टसर सिल्क गमछे की मुख्य बातें :
- टसर सिल्क गमछे में बुनकर द्वारा ताने में फिलेचर सिल्क यार्न तथा बाने में डाभा टसर यार्न एवं घींचा यार्न का उपयोग किया गया है।
- गमछे की चौड़ाई 24 इंच तथा लंबाई 84 इंच है।
- इस टसर सिल्क गमछे की बुनाई सिवनी चांपा के बुनकरों द्वारा की गई है।
- गमछे की बुनाई के उपरांत उनमें सरगुजा की महिला गोदना शिल्पियों के द्वारा गोदना प्रिंट के माध्यम से डिजाइनों को उकेरा गया है।
- सिल्क गमछे में गोदना डिजाइन कार्य दो शिल्पियों द्वारा एक दिन में एक नग तैयार किया जाता है।
छत्तीसगढ़ राजकीय गमछे का मूल्य:
- एक सिल्क गमछे में गोदना कार्य हेतु प्रति नग 700 रूपए का पारिश्रमिक शिल्पियों को प्रदान किया जाता है।
- सिल्क गमछे की बुनाई मजदूरी 120 रूपए प्रति नग है।
- एक राजकीय सिल्क गमछे का मूल्य 1,534 रूपये (जी.एस.टी. सहित) निर्धारित है।
छत्तीसगढ़ी कॉटन गमछा:
- कॉटन गमछे को भी राज्य के बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव के बुनकरों द्वारा हाथकरघों पर बुनाई के माध्यम से तैयार किया गया है।
- गमछे में ताने में 2/40 काउंट का कॉटन यार्न तथा बाने में 20 माउंट का कॉटन यार्न उपयोग किया गया है।
- गमछे की बुनाई के उपरांत इसमें भी राज्य की परपंरा को प्रदर्शित करते हुये डिजाइनों को स्क्रिन प्रिंट से तैयार कराया गया है।
- स्क्रिन प्रिंट का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ से अनुबंधित प्रिंटिंग इकाई से कराया जा रहा है।
- इसकी भी चौड़ाई 24 इंच तथा लंबाई 84 इंच है।
छत्तीसगढ़ राजकीय कॉटन गमछे का मूल्य:
- राजकीय कॉटन गमछे का मूल्य 239 रूपए (जी.एस.टी. सहित) प्रति नग निर्धारित है।
- इन गमछों को राज्य के स्मृति चिन्ह के रूप में मान्यता दिये जाने से बुनाई के माध्यम से 300 बुनकरों को तथा 100 गोदना शिल्पियों को वर्ष भर का रोजगार प्राप्त होगा।
- कॉटन गमछे की बुनाई मजदूरी 60 रूपए प्रति नग है।
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