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Is of Doing Business Index |
रिपोर्ट का नाम : इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग 2020 (State Ranking)
निर्धारण: भारत सरकार के वित्त और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा
देश में स्थान: छत्तीसगढ़ का स्थान छठवां
भारत सरकार के वित्त और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज संयुक्त रुप से इज ऑफ डूइंग बिज़नेस में राज्यों की रैंकिंग जारी की गई । ईज आफ़ डूइंग बिजनेस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य ने देश में छठवां स्थान हासिल किया है। कोरोना संकट के बावजूद भी छत्तीसगढ़ राज्य ने वर्ष 2018 के अपने स्थान को बरकरार रखने में सफल रहा है ।
राज्यों की रैंकिंग:
यह रैंकिंग देश में कारोबारी माहौल को और बेहतर बनाने की दिशा में बिजनेस सुधार के कार्यों की योजना को लागू करने के आधार पर जारी की गई है। जिसमें टॉप पर आंध्रप्रदेश है। पिछली बार यह रैंकिंग 2018 में जारी की गई थी। मंत्रालय द्वारा जारी रैंकिंग में उत्तर प्रदेश को दूसरा ,तेलंगाना को तीसरा ,मध्य प्रदेश को चौथा, झारखंड को पांचवां स्थान मिला है। छत्तीसगढ़ ने छठवां स्थान हासिल किया है। हिमाचल प्रदेश को सातवां, राजस्थान को आठवां , पश्चिम बंगाल को नौवां और गुजरात को दसवां स्थान मिला है।
रैंकिंग में निर्धारण:
यहां यह उल्लेखनीय है कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में व्यापार करने की शैली और शर्तों को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य घर बैठे इन्वेस्टर्स को सुविधाएं देना है, ताकि वे नया कारोबार शुरू कर सकें। रैंकिंग में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, समय- सीमा के अंदर काम को पूरा करना, औद्योगिक विवादों का निराकरण आदि बिंदुओं को शामिल किया जाता है ।
क्यों छत्तीसगढ़ इस रैंकिंग में अच्छा स्थान प्राप्त किया:
यह रैंकिंग विश्व बैंक के द्वारा सर्वे के बाद दी जाती है । इस रैंकिंग को कारोबारी और निवेश जगत में बहुत अहम माना जाता है । इसके आधार पर ही निवेशक अपने निवेश की नीतियां और निर्णय तय करते हैं छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति ने राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने तथा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के कई नए प्रावधान किए हैं जिसके चलते छत्तीसगढ़ राज्य में उद्योग एवं कारोबार को बढ़ावा मिला है। प्रदेश सरकार की जन हितैषी नीतियों के फल स्वरूप यहां उद्योग एवं व्यवसाय करोना संकटकाल में भी प्रभावित रहे हैं । यही वजह है कि देश -दुनिया में आई मंदी के बावजूद भी छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था गतिशील बनी रही है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनस इंडेक्स क्या होता है?
ईज ऑफ डूइंग बिजनस एक इंडेक्स है, जिसे वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी किया जाता है। यह एक ऐसी फिगर है, जिसमें कई पैरामीटर्स होते हैं, जिनसे किसी भी देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनस की स्थिति तय होती है। बिजनस के लिए अच्छे रेग्युलेशंस को ईज ऑफ डूइंग बिजनस के मानकों के लिए अहम माना जाता है।
इन रेग्युलेशंस में कंस्ट्रक्शन परमिट, रजिस्ट्रेशन, क्रेडिट मिलना, टैक्स पेमेंट मेकेनिज्म आदि को शामिल किया जाता है। इन मानकों के आधार पर ही देशों की रैंकिंग तय की जाती है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनस किसी देश के लिए इतना अहम् क्यों?
किसी भी देश की आर्थिक ग्रोथ के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनस अनिवार्य है। छोटे एवं मध्यम स्तर के उपक्रम यदि किसी देश में ग्रोथ करते हैं तो फिर वह तेजी से विकास कर सकेगा। क्षेत्र की आर्थिक ग्रोथ में इन उपक्रमों की अहम भूमिका होती है। ईज ऑफ डूइंग बिजनस का असर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर होता है। इसके अलावा सरकार की प्रक्रिया, नियम और रेग्युलेशंस का असर स्थानीय कारोबार पर भी होता है।
रैंकिंग की गणना कैसे की जाती है समझते हैं चरणबद्ध तरीके से?
- बिजनेस की शुरुआत (starting a business): इसके अंदर इस बात का अध्ययन किया जाता है कि किसी देश में नया बिजनेस शुरू करने के लिए कितना समय, कागजी कार्यवाही, और कितने विभागों की अनुमति लेनी पड़ती है। जिस देश में ये सब चीजें कम लगती हैं उसे देश को अच्छी रैंकिंग प्रदान की जाती है।
- बिजली कनेक्शन (Getting Electricity): किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिजली का कनेक्शन होता है। इस पैरामीटर के लिए इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन में लगने वाला समय, पैसा और डॉक्यूमेंटेशन से जुड़े आंकड़े जुटाये जाते हैं और यह देखा जाता है कि इस प्रक्रिया को पूरा करना कितना आसान होता है।
- निर्माण कार्य के लिए परमिट (Dealing with construction Permit): इस पैरामीटर के अंतर्गत इन बातों का अध्ययन किया जाता है कि देश में किसी जगह गोदाम बनाने के लिए कितना समय और पैसा लगता है साथ ही साथ बिल्डिंग गुणवत्ता नियंत्रण सूचकांक, बिल्डिंग के लिए बीमा और उसके सर्टिफिकेट के लिए कितना समय, पैसा इत्यादि लगता है। इन सब चीज़ों का अध्ययन कर नंबर दिया जाता है।
- संपत्ति पंजीकरण (Registering property): इसमें किसी उद्योग घराने के द्वारा किसी प्रॉपर्टी को खरीदने, बेचने किसी और व्यक्ति को लीज कर देने या इस प्रॉपर्टी पर ऋण लेने मे कितना समय, कागजी कार्यवाही और पैसा लगता है. साथ ही यह प्रत्येक अर्थव्यवस्था में भूमि अधिग्रहण और भूमि प्रशासन प्रणाली (land administration system) की गुणवत्ता को भी मापा जाता है।
- ऋण प्राप्त करना (Getting Credit): इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अंतर्गत इस बात का भी अध्ययन किया जाता है कि किसी उद्यमी को कितनी आसानी से व्यापार बढ़ाने के लिए कितनी आसान या कठिन शर्तों पर ऋण मिलता है, कितनी मात्रा में मिलता है, कितनी कोलैटरल सिक्यूरिटी जमा करनी पड़ती है और दिवालियापन का कानून कैसा है।
- छोटे निवेशकों की रक्षा (Protecting Minority Investors): देश में निवेश करने वाले कारोबारियों के पैसे की सुरक्षा गारंटी कितनी है। इस बात के आंकड़े जुटाये जाते हैं. साथ ही इस बात का भी अध्ययन किया जाता है कि यदि एक निवेशक के साथ कुछ गैर कानूनी घटित होता है तो उसको किस प्रकार की सहायता सरकार से मिलती है और उसको मिलने वाली कानूनी सहायता और क्षतिपूर्ति कितनी होगी।
- करों का भुगतान (Paying Taxes): टैक्स की संरचना, कितने तरह के टैक्स लिये जाते हैं, कितनी दर से लिए जाते हैं और उसे भरने में कारोबारियों को कितना वक्त गुजारना पड़ता है।
- सीमा पार व्यापार (Trading Across Borders): इसके अंतर्गत सामानों के निर्यात और आयात की लोजिस्टिक प्रक्रिया से जुड़े समय, डाक्यूमेंट्स और लागत का अध्ययन किया जाता है. इसके अंतर्गत मुख्य रूप से तीन चीजों का अध्ययन किया जाता हैः 1. डाक्यूमेंट्स, 2. बॉर्डर नियम 3. घरेलू परिवहन में लगी लागत और समय।
- कॉन्ट्रैक्ट के नियम (Enforcing Contracts): दो कंपनियों व कारोबार में आमतौर पर होने वाले कॉन्ट्रैक्ट को लेकर क्या नियम है. इन अनुबंधों में होने वाली प्रक्रिया और खर्च होने वाले रकम को भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आधार बनाया जाता है. इसके अंतर्गत यह भी देखा जाता है कि देश में कानूनी प्रक्रिया कितनी जटिल और खर्चीली है।
- दिवालिएपन का समाधान करना (Resolving Insolvency): डूइंग बिजनेस रिपोर्ट; इस बात का अध्ययन करती है कि यदि कोई कंपनी दिवालियापन के लिए अप्लाई करती है तो इस प्रक्रिया में कितना समय, लागत और परिणाम किस प्रकार कंपनी को प्रभावित करेगा।
पिछले कुछ सालों में भारत की रैंकिंग ये रही है:
- साल 2019-20 में - 63वां रैंक
- साल 2018-19 में - 77वां रैंक
- साल 2017-18 में - 100वां रैंक
- साल 2016-17 में - 130वां रैंक
- साल 2015-16 में - 130वां रैंक
- साल 2014-15 में - 142वां रैंक
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