‘सही पोषण-छत्तीसगढ़ रोशन‘ | जानें क्या होता है यह "राष्ट्रीय पोषण माह" | देश में कब और क्यों मनाया जाता है यह |


‘सही पोषण-छत्तीसगढ़ रोशन‘ | जानें क्या होता है यह "राष्ट्रीय पोषण माह"
‘सही पोषण-छत्तीसगढ़ रोशन‘ | जानें क्या होता है यह "राष्ट्रीय पोषण माह"


अभियान का नाम: राष्ट्रीय पोषण माह (Rashtriya Poshan Maah)
शुरुआत: अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च, 2018
प्रारम्भ कर्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। 
शुरुआत स्थल: राजस्थान के झुंझनू। 
क्रियान्वयन: महिला और बाल विकास मंत्रालय दिल्ली। 
छत्तीसगढ़ पोषण माह थीम 2020: "सही पोषण - छत्तीसगढ़ रोशन " 

क्या होता है कुपोषण:

शरीर में आवश्यक संतुलित आहार की निरंतर कमी कुपोषण को जन्म देती है। कुपोषण के कारण खासकर बच्चों और महिलाओं के शरीर में प्रतिरोधक क्षमताओं में कमी आ जाती है, जिससे की शरीर बहुत ही आसानी और जल्दी रोग ग्रस्त हो जाती है। मानव शरीर का कुपोषित होना पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार का ना मिल पाना है। 

कुपोषण के लक्षण:

यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुपोषण के तीन प्रमुख लक्षण होते हैं-

  • नाटापन (Stunting) - यदि किसी बच्चे का कद उसकी आयु के अनुपात में कम रह जाता है तो उसे नाटापन (Stunting) कहते हैं।
  • निर्बलता (Wasting) - यदि किसी बच्चे का वज़न उसके कद के अनुपात में कम होता है तो उसे निर्बलता (Wasting) कहा जाता है।
  • कम वजन (Underweight) - आयु के अनुपात में कम वजन वाले बच्चों को ‘अंडरवेट’ कहा जाता है।

क्या होता है पोषण माह:

इसमें महीने भर की गतिविधियों को शामिल किया गया है जिसमें प्रसव पूर्व देखभाल, इष्टतम स्तनपान, एनीमिया, विकास की निगरानी, ​​लड़कियों की शिक्षा, आहार, विवाह की सही उम्र, स्वच्छता और साफ-सफाई तथा स्वस्थ भोजन (फूड फोर्टिफिकेशन) आदि शामिल हैं।

इसे राष्ट्रीय पोषण मिशन के रूप में भी जाना जाता है, यह बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं हेतु पोषण परिणामों में सुधार करने के लिये भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। पोषण का अर्थ है-'समग्र पोषण के लिये प्रधान मंत्री व्यापक योजना'।

पोषण माह लक्ष्य:

  • इसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक स्टंटिंग, कम वजन और जन्म के वक़्त, शिशु में कम वजन, प्रत्येक में प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की तथा युवा बच्चों, किशोरों और महिलाओं में एनीमिया प्रत्येक में प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की कमी लाना है।
  • स्टंटिंग को कम करने का न्यूनतम लक्ष्य प्रत्येक वर्ष 2 प्रतिशत है, परंतु यह मिशन इसे 2016 के 38.4 प्रतिशत से वर्ष 2022 तक 25 प्रतिशत तक कम करने का प्रयास करेगा।

कुपोषण के मामले में भारत की स्थिति:

वर्ष 2015 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत भूख से प्रभावित 20 सबसे बड़े देशों में एक था। दक्षिण एशियाई देशों में तो यह केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान से ही पीछे था।

भारत में कुपोषण के कारण:

  • पोषण की कमी और बीमारियाँ कुपोषण के सबसे प्रमुख कारण हैं। अशिक्षा और गरीबी के चलते भारतीयों के भोजन में आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है जिसके कारण कई प्रकार के रोग जैसे एनीमिया, घेंघा व बच्चों की हड्डियाँ कमज़ोर होना आदि हो जाते हैं। पारिवारिक खाद्य असुरक्षा तथा जागरूकता की कमी।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 1700 मरीजों पर एक डॉक्टर उपलब्ध हो पाता है, जबकि वैश्विक स्तर पर 1000 मरीजों पर 1.5 डॉक्टर होते हैं।
  • कुपोषण का बड़ा कारण लैंगिक असमानता भी है। भारतीय महिला के निम्न सामाजिक स्तर के कारण उसके भोजन की मात्र और गुणवत्ता में पुरुष के भोजन की अपेक्षा कहीं अधिक अंतर होता है।
  • लड़कियों का कम उम्र में विवाह होना और जल्दी माँ बनना।
  • स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता तथा गंदगी भी कुपोषण का एक बहुत बड़ा कारण है।

कुपोषण से बचाव के तरीके:

बच्चों को पोषक आहारः छह महीने तक केवल माँ का दूध उसके बाद से शिशुओं को पूरक आहार (दाल का पानी, डिब्बाबंद प्रोटीन आदि) दिया जाए। किशोरियों को आयरन की गोलियाँ देना आवश्यक है ताकि वे रक्ताल्पता (Anaemia) की शिकार न हो जाएँ।

स्वच्छता का ध्यानः यदि झुग्गियों में और बच्चों के आस-पास सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए तो संक्रमण से अधिकाधिक बचा जा सकता है।

2020 में छत्तीसगढ़ का प्रयास:

इस साल कुपोषण के प्रति जन-जागरूकता के लिए विभिन्न वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित होंगे और मीडिया के विभिन्न माध्यमों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाएगा। राष्ट्रीय पोषण माह 2020 का एक प्रमुख उद्देश्य गंभीर कुपोषित बच्चों का शीघ्र चिन्हांकन और उन्हें संदर्भित किया जाना भी है। इसके लिए कलेक्टरों को कोविड-19 से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान बच्चों की उत्तरजीविता में सुधार के लिए 6 माह तक के बच्चों के लिए संपूर्ण स्तनपान को बढ़ावा के के कार्य किये जाएंगे। परिवारों,समुदायों द्वारा पौष्टिक सब्जियां, फलदायक पौधों को घर और सामुदायिक की बाड़ियों, बंजर भूमियों और आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूल, शासकीय भवन तथा नगरीय क्षेत्रों में घर की छतों में पोषण वाटिका के निर्माण हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।

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