दोस्तों, जब बात आती है देश के उपलब्धि की तो सबका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, इस बार हमारे देश के ISRO (इसरो) प्रमुख के. शिवन जी ने हमे पुनः हमारे सीने को गर्व से चौड़ा करने का मौका दिया है। के. शिवन जी को दुनिया का प्रतिष्ठित एरोनॉटिक्स के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाज़ा जायेगा। आज हम जानेंगे की उन्हें एरनॉटिक्स के क्षेत्र में दिया जाने वाला पुरस्कार कौन-सा है, यह पुरस्कार किस - किस क्षेत्र में किसे दिया जाता है, भारत के किन-किन लोगों को आज तक यह पुरस्कार मिला है, आज हम आपको इन सारी जानकारियों से रूबरू कराने वाले हैं ।
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भारत के लिए एक और गौरव | इसरो प्रमुख के. शिवन को मिला एरोनॉटिक्स के क्षेत्र का बड़ा पुरस्कार |
पुरस्कार का नाम: वॉन कार्मन पुरस्कार (Von Karman Prize)
प्राप्तकर्ता: के. शिवन
साल: 2020
जगह: पेरिस, फ़्रांस
वॉन कर्मन पुरस्कार (Von Karman Prize) :
वॉन कार्मन पुरस्कार (Von Karman Prize) की शुरुवात 1983 से IAA (इंटरनेशनल अकादमी ऑफ़ एस्ट्रोनॉटिक्स) द्वारा की गयी है तब से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में किसी भी शाखा के अंतर्गत जीवन पर्यन्त श्रेष्ठ कार्य करने वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता और लिंग में बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है। यह पुरस्कार प्रसिद्ध एरोस्पैस वैज्ञानिक डॉ. थिओडोर वॉन कार्मन के नाम पर रखा गया है।
डॉ. थिओडोर वॉन कार्मन (Dr. Theodore Von Karman) :
थियोडोर वॉन कार्मन का जन्म 11 मई 1881 को ऑस्ट्रिया हंगरी बुडापेस्टट नामक जगह पर हुआ था। थियोडोर वॉन कार्मन एक महान हंगेरियन अमेरिकन गणितज्ञ एयरोस्पेस इंजीनियर तथा भौतिक शास्त्री थे। वे एयरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स के महान जानकार भी थे। इन्होंने एयरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स के क्षेत्र में मैं इतने महान कार्य किए हैं की उनकी याद में सम्मान स्वरूप अनेक नामकरण उनके नाम पर किया गया है:
- मंगल और चंद्रमा पर बने क्रेटर के नामकरण सम्मान स्वरूप इनके नाम पर किया गया है।
- वायुमंडल और अंतरिक्ष के बीच की सीमा को कॉर्मन रेखा कहा जाता है।
- 1983 में कार्मन को इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस हॉल आफ फेम में शामिल किया गया।
- इन्हीं के नाम पर विज्ञान किसी भी शाखा में उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्ति को वॉन कार्मन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
के.शिवन (K. Shivan):
पूरा नाम: कैलाशवादिवु शिवन
जन्म: 14 अप्रैल1957
पिता: कैलासा वदिवु
माता: चेलम
स्थान: मेला सरक्कलविलाई, कन्याकुमारी तमिलनाडु।
परिचय:
के.शिवन बचपन से ही एक होनहार छात्र थे, उनके पिता एक गरीब किसान थे परन्तु उन्होंने कभी-भी पढ़ाई के बीच में अपने निर्धनता को नहीं आने दिया, इन्होने बचपन की प्राइमरी शिक्षा गांव की ही तमिल माध्यम के सरकारी स्कूल से पूरी की, आगे की पढ़ाई कन्याकुमारी की वल्लनकुमारनवलाई से की। आगे की पढ़ाई के लिए के.शिवन के पास पैसे नहीं थे, उनके पिता जानते थे की अगर पैसे कमाने हैं तो बच्चों को पढ़ना आवश्यक है इसलिए उन्होंने अपनी खेत बेच कर के.शिवन के लिए पैसों की व्यवस्था की
- के. शिवन ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के इंजीनियरिंग विभाग से 1980 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- 1982 में इन्होने भारतीय विज्ञान संसथान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।
- 2006 में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ही डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
वैज्ञानिक के रूप में सफर :
- 1982 से के. शिवन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम करना शुरू किया।
- इसरो से जुड़ते ही उन्होंने PSLV (पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल) अभियान के लिए काम करना शुरू कर दिए थे।
- 2 जुलाई 2014 को उन्हें इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर शाखा का निर्देशक बनाया गया।
- 1 जून 2015 को उन्हें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Center) का निर्देशक नियुक्त किया गया।
- 15 जनवरी 2018 को के. शिवन ने इसरो प्रमुख के रूप में अपना काम शुरू किया।
- 22 जुलाई 2019 को के. शिवन की अध्यक्षता में भारत ने अपना चंद्रयान 2 नामक दूसरा मिशन शुरू किया।
पुरस्कार:
- 2019 में के. शिवन को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अवॉर्ड जो की तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के विकास में योगदान के लिए दिया जाता है से नवाजा गया।
- 2020 में IEEE, साइमन रेमो मेडल Byrana N. Suresh के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।
- 2020 का एरोनॉटिक्स के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च वॉन कार्मन पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है जिसे मार्च 2021 को फ्रांस के पेरिस में दिया जायेगा।
- के. शिवन को इंडिया के रॉकेट मैन के नाम से भी जाना जाता है।
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