छत्तीसगढ़ में पक्षियों के संरक्षण हेतु शुरू हुआ एक अभिनव पहल "चिड़िया मितान" जानें कौन बना पहला चिड़िया मितान

दोस्तों, आप लोगों को कुछ दिन पहले की घटना याद ही होगी, जिसमे देश के अनेक शहरों में टिड्डी दलों का आतंक फैला था। यह टिड्डी दल चंद मिनटों में फसलों से लेकर पेड़ पौधों की पत्तियों को चट कर जाते थे। अनेक किसानों को इसके कारण बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। इस टिड्डी दल को रोकने का किसी के पास कोई खास उपाय भी नहीं था। 

चिड़िया मितान(Chidiya Mitan) Save Birds
चिड़िया मितान(Chidiya Mitan) Save Birds


क्या आपने सोंचा है की आखिर इन टिड्डियों की तादात आखिर इतनी बढ़ी क्यों? तो हम आपको बता दें,कि  इसका कारण है प्रकृति में चिड़ियों की संख्याओं में होने वाली लगातार कमी। आज से कुछ वर्ष पहले तक आप अपने आंगन में अनेक पक्षियों को अटखेलियां करते देखते रहे होंगे, परन्तु आज वो कहाँ गए किसी को नहीं पता। आज पक्षियों की संख्या इतनी कम हो गयी है, कि उनको देखने के लिए पास के किसी चिड़ियाघर में पैसे दे कर जाना पड़ता है। 

जिस प्रकार वर्षों पहले इस धरती पर डायनासॉर के प्रमाण मिलते है, ठीक उसी प्रकार कुछ वर्षों में हम भी यही बताएंगे की हमारे समय में भी पक्षियाँ हुआ करती थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि कुछ समय पहले तक जो गौरैया और कौआं हमारे घरों के छतों और आंगनों में देखने मिलता था, अब बहुत ही मुश्किल से कभी-कभार दिखाई दे जाते हैं। 

पहल का नाम: चिड़िया मितान 
जिला: कोंडागांव (जहाँ इसकी शुरुवात हुई)
वन मंडल: केशकाल वनमंडल 
पहला चिड़िया मितान: अनित (कक्षा 8 वीं का छात्र)
योजनाकर्ता: श्री धम्मशील गणवीर ( वनमण्डलाधिकारी)

इस पहल की शुरुवात कैसे हुई :

एक सुबह वनमण्डलाधिकारी श्री धम्मशील गणवीर फरसगांव परिक्षेत्र में गश्त हेतु गये हुए थे, इस दौरान उन्होने ग्राम दिगानार के समीप एक बालक के हाथों में गुलेल एवं उसकी गोलियां देखी। बालक से पुछने पर उसने बताया कि गांव के ज्यादातर बच्चे और बड़ों द्वारा प्रायः चिड़ियों का शिकार किया जाता है। इस पर वनमण्डलाधिकारी द्वारा बच्चे को चिड़ियों द्वारा वनों को होने वाले लाभ जैसे एक पेड़ से दूसरे पेड़ों तक परागकणों का स्थानांतरण, बीजों का अन्य स्थानों पर छिड़काव और जैव विविधता के संरक्षण में चिड़ियों की भूमिका आदि के संदर्भ में बताया, जिससे प्रेरित होकर बालक के द्वारा चिड़ियों के संरक्षण में सहयोग की मंशा जताई गई।

कौन बना पहला चिड़िया मितान:

 इस पहल में सर्वप्रथम ग्राम दिगानार के 8वीं कक्षा में अध्ययनरत् उसी 15 वर्षीय अनित पिता जयाराम को प्रथम ‘‘चिड़िया मितान‘‘ बनाया गया है।

शिकार रोकने अभिनव पहल:

शिकार पर नकेल कसने के लिये केशकाल वनमण्डल द्वारा अभिनव पहल के तहत् वन ग्रामों के छात्र-छात्राओं को चिड़ियों के संरक्षण के लिये चिड़िया मितान द्वारा प्राकृतिक धरोहरो को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इसे एक अभियान का रूप देकर केशकाल वनमण्डल के अन्तर्गत चिड़ियों को शिकार ना कर उनके संरक्षण हेतु चिड़िया मितान बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस अभियान के द्वारा लोगो को केवल शिकार से रोकना ही नहीं अपितु उनके व्यवहार में परिवर्तन के द्वारा चिड़ियों के संरक्षण का प्रयास भी किया जा रहा है। इसमें बड़ों-बुजुर्गों को बच्चे (चिड़िया मितान ) जैव-विविधता को बचाने की प्रेरणा देते नजर आएंगे।

कौन और कैसे बन सकते हैं चिड़िया मितान:

यह चिड़िया मितान वन अमलों द्वारा ग्राम स्तर पर बनाये जायेंगे। ये चिड़िया मितान ग्रामवासियों को चिड़ियों के संरक्षण के प्रति जागरूक कर उनके गुलेल एवं मिट्टी की गोलियों एवं तीर कमानों को जप्त कराने हेतु प्रयास करेँगे। चिड़िया मितान बनने हेतु इच्छुक छात्र-छात्राएं मोबाईल नम्बर 9424292516 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

पक्षियों के कम होने के मुख्य कारण :

प्राचीन समय में वनवासी लोग प्राकृतिक शक्तियों एवं पशु-पक्षियों में ईश्वर का निवास मानकर उनकी पूजा किया करते थे, परन्तु समय के साथ अज्ञानतावश उन्होने प्राकृतिक शक्तियों को ही नुकसान पहुंचाना प्रारंभ कर दिया। इसी का एक उदाहरण है,कि लोगों ने पक्षियों का शिकार वनों में करना प्रारम्भ कर दिया। चिड़ियों का शिकार विभिन्न प्रायोजनो से कई लोगों द्वारा वनो में किया जाता है। इन प्रायोजनों में चिड़ियों के विक्रय, खाने के लिये एवं दवाईयों हेतु किया जाना शामिल है।

इसके साथ ही पेड़ पौधों की कटाई और कीटनाशकों का अत्यधिक इस्तेमाल भी चिड़ियों की कमी का मुख्य कारण है। आजकल सिंचाई हेतु फव्वारा पद्धिति अपनाने से पक्षियों को पर्याप्त पानी ना मिल पाना और सरकार द्वारा वनों में पक्षियों के संरक्षण हेतु उचित प्रबंध ना करना भी एक कारण है। 

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